राठौङी राजा ~ सोलंकिया तला
शेर परगनो शेरगढ़ , आखे भारत एक । निभती जावे जठे नरा , टणकाई री टेक ॥ सोनो न निपजे अठै , न हिरा निपजन्त । सिर कटिया खग चाँपणा , इण धरती उपजन्त ॥ सवाई सिहँ देवराज सोलंकिया तला
Sunday, September 9, 2012
Friday, August 3, 2012
Friday, July 27, 2012
युँ तो किस्मत से मिलता हैँ जीवन राजपुत का , फिर भी दुनिया इसे खराब कहती हैँ । धरम हमारा जान से भी प्यारा होता हैँ , बस इसलिए ये दुनिया हमे बदनाम करती है । जब बनती है इन दुनिया वालो की जान पे , तब इन्हे राजपुत की याद आती हैँ । और तब उठा के तलवार राजपुत घोङे पे सवार होता हैँ , तो ये सारी दुनिया उसे सलाम करती हैँ ॥ लेखक:~ सवाई सिह देवराज सोँलकिया तला
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